मानव जीवन की परम उपलब्धि शांति है। वह मन की एकाग्रता और स्थाइत्व में है। उसे मनोनिग्रह और ध्यानाभ्यास के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। मन एकाग्रता में महान शक्ति है। ध्यानाभ्यास से मन सुदृढ़, एकाग्र और शांत होता है एवं स्मति में वृद्धि होती है। थकावट, बेचैनी, हताशा से हमें दूर रहकर जीवन में एक नयी उमंग,दृढ़आत्मविश्वास और प्रसंनता का संचार करता है। ध्यानाभ्यास से हाईटेंशन, तनाव, उद्धेग, चिडचिडाहट, हृदय रोग इत्यादि में निश्चित रूप से लाभ होता है। इससे बाल, युवक, वृद्ध सभी वर्गो को शारीरिक, मानसिक, बैद्धिक, व्यावहारिक एवं आध्यात्मि लाभ होता है। मन की चंचल गति को रोकना यह जीवन में सबसे श्रेष्ठ काम है।
सदगुरु कबीर साहेब के सहज ध्यान और सहज समाधि बहुत ही सरल साधना है। वे हमें निर्देश करते हैं कि कोरे उपदेश से ज्ञानचर्चा मात्र से मन का विकार धुलता नहीं है। मनोविकार धोये बिना मनुष्य सुखी नहीं हो सकता। राज योग से मनोविकार धुलते हैं। इसलिए उन्होंने ध्यान, समाधि और साधना पर जोर दिया है। वह ध्यान क्या है। ध्यानाभ्यास कैसे करें? उसकी विधि क्या है? अभ्यास काल में कौन-कौन सी अड़चनें आती हैं? इन अड़चनों को कैसे दूर किया जा सकता है? ध्यान से क्या-क्या लाभ है? अभ्यासकाल में कौन-कौन सी अड़चनें आती है? इन सभी शंकाओं के समाधान हेतु कबीरपंथ के प्रसिद्ध विद्वान संत त्यागमूर्ति, समाधिनिष्ठ पूज्यपाद सदगुरु श्री अभिलाष साहेब जी के संरक्षण एवं निर्देशन में निशुल्क विशेष ध्यानशिविर का आयोजन विगत वर्षों की भांति निम्न जगहों पर किया जा रहा है।